Monday 25 December 2017

*๐Ÿ“ฎเคถเคนीเคฆ เค เค†เคœเคฎ เคธ.เคŠเคงเคฎเคธिंเคน*                          *26 เคฆिเคธเคฎ्เคฌเคฐ 1899

*📮शहीद ए आजम स.ऊधमसिंह*
                         *26 दिसम्बर 1899*
                          *"”""""""”""""""""""'""''"''*
जब बदला लेने पर आऐं, तो दुश्मन को 21 साल बाद भी ढूंढकर उसकी मांद में ही मारने वाले बन जाते हैं हम
                        *सरदार उधम सिंह*
ऐसे महान क्रांतिकारी को उनकी 118 वीं जयन्ती पर कोटि कोटि नमन।
                          🙏🙏🙏🙏🙏
13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग अमृतसर में “रौलेट एक्ट” का विरोध करने के लिए एक जनसभा का आयोजन किया गया था। जिसे रोकने के लिए *Brigadier general reginald Dyer* अपने साथ 90 राइफलधारी सैनिकों को लेकर मौके पर पहुंचा और बिना किसी चेतावनी के शांति से चल रही मीटिंग पर फायर करा दिया। जिसमें हजारों लोग मौके पर मारे गए तथा उससे कहीं ज्यादा घायल हो गए। 10 मिनट में 1650 राउंड गोलियां चलाया जाना अभिलेखों में दर्ज हैं। ब्रिटिश हुकूमत द्वारा 379 लोगों को शहीद होना तथा 200 लोगों को हो घायल होना स्वीकार किया गया, जबकि अमृतसर के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ स्मिथ के अनुसार मृतकों की संख्या 1800 से अधिक थी। इस मौके पर भीड़ के बीच स.ऊधमसिंह भी मौजूद था, जिसे घटना से गहरा धक्का लगा और उसने अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारियों को मारकर बदला लेने की कसम खाई। गोली चलाने वाला *ब्रिगेडियर जनरल डायर* बाद में इस्तीफा देकर स्वदेश लौट गया। जिसकी पता चलने पर सरदार उधम सिंह के खौफ से *सदमे के कारण 24 जुलाई 1927 को मृत्यु हो गई।*
गोली चलाने का समर्थन करने वाले *पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर Michael o'dwyer* का ट्रांसफर भी लंदन हो गया। अतः सरदार उधम सिंह भी उसे मारने के लिए विभिन्न नामों से दक्षिणी अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील, जिंबाब्वे, तथा अमेरिका व जर्मनी होते हुए 1934 में लंदन पहुंचा। जहां उसने एक रिवाल्वर का इंतजाम किया तथा एक मोटी किताब खरीदी और उसके पृष्ठों को रिवाल्वर के साइज में काटकर उसमें रिवाल्वर को छिपा लिया। 13 मार्च 1940 को लंदन में *माइकल ओ ड्वायर* द्वारा कैक्सटन  हाल मे एक सम्मेलन बुलाया गया था। महा पराक्रमी स.ऊधम सिंह ने हाल में पहुंचकर मायकल ओ ड्वायर पर रिवाल्वर से सीधे दो फायर  करके  मौत के घाट उतार दिया। सरदार ऊधम सिंह भागे नहीं बल्कि मौके पर ही गिरफ्तार हो गए। जिन्हें 31 जुलाई 1940 को पेंटनविले जेल में फांसी पर लटका कर शहीद कर दिया गया।
*“भारत गौरव”, “शहीद ए आज़म”  स.ऊधमसिंह को* कोटि कोटि नमन।
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Ravi Sagar Jatav
#DabanggJatav

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I am in the process ofbecoming the best version of myself. ☺️

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